मैं तब पूरी तरह एथेस्ट बन चुका था। मेरी भाषा उनकी भाषा इन सब से ऊपर उठ चुका था। ( ऐसा मेरा मानना था।)
इंग्लिश लाइफ स्टाइल, इंग्लिश गाने, इंग्लिश इमोशंस वाली एटीट्यूड आदि मेरे अंदर रच बस चुके थे।
लेकिन वे पल जिसमे मृत्यु मेरे करीब थी, बेहोशी में बुदबुदाने, दर्द से चीखने वाले शब्द मातृभाषा से आए थे।
नदियां के पार और हम आपके हैं कौन, दोनो एक ही प्रॉडक्शन की एक ही कहानी पर आधारित फिल्में हैं। लेकिन इमोशन के स्केल पर भोजपुरी भाषी नदिया के पार देख कर ज्यादा इमोशनल होंगे।
मैं दावे के साथ कह सकता हुं कि अमेरिका यूरोप के लाइफ स्टाईल में रचे बसे भोजपुरी भाषी के सामने अचानक से नदिया के पार फिल्म देखने का संयोग आए, तब इन भोजपुरी भाषी के अंदर अचानक से कुछ चेंज हो जायेगा। सुक्ष्म मन हमेशा मातृभाषा को सुरक्षित रखता हैं, और चाहे आप किसी भी कंट्री के लाइफ स्टाइल में रचे बसे हो! मातृभाषा से सामना होने पर आंखे गिली होनी तय है।
मां ही मातृभाषा है और मातृभाषा ही मां हैं।
मातृभाषा दिवस की शुभकामना।
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