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वह कृष्ण हैं।

अस्तित्व के विशाल अंधेरों के बीच एक प्रकाश का जन्म लेना। उस प्रकाश का अंधेरों को चुनौती देना, और धीरे–धीरे अपने साहस, निर्भयता और कर्म से अंधेरों पर विजय प्राप्त कर लेना, मेरे लिए कृष्ण वही प्रकाश हैं।   कृष्ण का मेरे जीवन में अचानक से प्रवेश  हुआ था। आम लोगो कि तरह ही कृष्ण के बारे में मेरी जानकारी सीमित थी।  जब तक जीवन आरामदायक रहा तब तक कृष्ण मेरे से दूर रहे। मैं भी दूर रहा। और फिर जीवन में संघर्षों का आगमन होना शुरू हुआ था। भविष्य का डर सामने मुंह बाए खड़ा मिलता था।   हर रोज थोड़ा–थोड़ा करके, अंदर से कुछ टूटता जा रहा था।  हर रास्ते अंधेरे में जा कर समाप्त हो रहे थे।  मौत से आमना सामना प्रायः हो जाता था।  मैं लगभग असहाय था।  तभी किसी अंधेरी रातों में मेरे अंदर कृष्ण का जन्म हुआ था।   उनकी उंगलियों को थाम मैने दुबारा से चलना सीखा था।  कृष्ण के साथ मेरी सहजता दिन ब दिन अब बढ़ते जा रही थी। कृष्ण के राह पर चलना हैं ये निश्चित था। कई किताबे, लेख , भागवत गीता आदि पढ़ने का क्रम जारी था।   कृष्ण को समझना बड़ा कठिन था। कृष्ण मुस्कुराने को बोलते थे इसके वावजूद भी कि आपके जीवन में कितना भी बुर